Plans and Projects

Plans and Projects
हमारी योजनाएं  और प्रकल्प
हमारा  नारा है 'उत्थान हर किसी का हर तरह से'  इसलिए हमारे प्रकल्प भी हर किसी के लिए हर तरह के हैं, जैसे :
खुल कर खिलो :-
बच्चों कि परवरिश, उनका विकास, बचपन, व्यक्तित्व, उनकी शिक्षा,   संस्कार  व   सकारात्मक माहौल  के लिए तथा हो रहे शोषण के लिए. 
मैं हूँ :-
स्त्री कि पहचान और उसकी जुडी हर समस्या एवं सपनों को पूरा करने के लिए.
संरक्षण  :-
जल - वायु, पेड़ - पौधे, प्रकृति , पर्यावरण  एवं प्रदूषण से जुडी समस्याओं  को दूर करना तथा उनका संरक्षण करना.  
सृजन :-
ख़राब, बेकार एवं पुरानी चीज़ों से नई चीज़ें तैयार करना. प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग एवं रीसाइकिल कि गई वस्तुओं से नवनिर्माण करना.  
पनाह :-
पशु - पक्षियों, अनाथ, निराश्रित एवं असहाय लोगों को सहायता व आसरा देना व सम्बंधित ज़रूरतों को पूरा करना व करवाना .
हुनर :-
लोगों में मौजूद किसी भी तरह  की प्रतिभा - कला व हुनर को पहचान देना/ दिलाना या छिपी प्रतिभा को ढूँढना , निखारना व उसे बढ़ावा देना.   
वजूद :-
अनुसूचित जा जाती या समाज का वह राग जो बिलकुल ही तिरस्कृत व उपेक्षित है. किसी भी तरह के भेदभाव के कारण हो रहे शोषण का शिकार हैं आदि से मुक्त करना/ करवाना.
भोर :-
निराश एवं हताश वृद्ध जिनके लिए शरीर बोझ है और जीवन बेकार, जो घर से बे घर हैं और परिस्तिथि से हैं लाचार या अपनों के बीच हैं पराये.  
संजीवनी :-
बेहतर  शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए, एड्स अवम केंसर जैसे जटिल रोगों एवं व्यसनों से मुक्ति के लिए, औषधालय अवम चिकित्सालय उपलब्ध करने के लिए, मेडिकल स्वास्थ्य सुविधाएँ, शिविर व सेमीनार आदि लगाना एवं  लगवाना. आयुर्वेद एवं योग को बढ़ावा देना.  
राहत  :- 
भुखमरी  - भूचाल, बाढ़ - सूखा एवं महामारी आदि प्राकृतिक एवं आपातकालीन विपदाओं तथा आहात्कारियों को हर तरीके सा राहत पहुँचाना.
मित्र :-
तन्हां, अकेले, नीरस व आत्मविश्वासहीन लोग जिनके पास न कोई समूह है न ही  मनोरंजन  के  साधन. जिनके पास हाथ  मिलाने वाले  तो हैं पर कोई सुनने व समझने वाला मिट नहीं है.
स्वावलंबन :-
लोगों को आत्मनिर्भर बनाना, अपने पैरों पर खड़े करना के लिए नय कोर्स व ट्रेनिंग देना, रोज़गार के अवसर प्रदान करना तथा लघु-कुटीर उद्योग आदि सीखने एवं खोलने में मदद करना.
साक्षर :-
अनपढ़ों को पढ़ना, उनके लिए स्कूल व शिक्षा केंद्र खोलना व खुलवाना. पुस्तकें, यूनिफार्म, बस्ते व फीस आदि उपलब्ध करना/करवाना. मुआवजा एवं छात्रवृति कि सुविधा आदि देना.  
कद्र :-
समाज  का वह वर्ग जो 'अलग है पर गलत नहीं ' यानी  किन्नर, वेश्याएं, बार डांसर्स एवं सम्लेंगिक  लोग, उनकी व  उनके कार्य एवं भावनाओं कि कद्र व सम्मान करना.  
धरोहर :-
 भारत की परंपरा, संस्कृति, कला, इमारत एवं ज्ञान आदि को संजोकर रखना और उसे विस्तार देना, पुन्ह्स्थापित करना.
ऊर्जा :- 
युवाओं  को संगठित करना, उनके भीतर  छिपी उर्जा एवं जोश को जगाना व उसे सकारात्मक दिशा  देना. उनकी समस्याओं एवं बुरी आदतों को सुलझाना. उनको, उनके परिवार , समाज एवं देश के प्रति जागृत करना. 
शब्दांजलि  :-
साहित्य की सेवा व प्रचार-प्रसार करना. पुस्तकालयों एवं पुस्तकों को, पुस्तक मेलों एवं प्रदर्शनियों  को , भाषा एवं प्रकाशन को तथा हर तरह की, हेर स्तर पर रचना एवं रचनाकारों को सम्मान तथा बढ़ावा देना . 
नवयुग :-
समाज में एवं देश में फैलीं बुराइयां, कुरीतियाँ, प्रथाओं एवं भेदभावों को दूर करना. केयदियों तथा आतंकवाद एवं आतंकवादियों पर कार्य करना व समाज में जन- जागरण अभियान चलाना.
आस :-
 पूर्ण एवं आंशिक रूप से किसी भी प्रकार से अक्षम, लाचार, अपांग, नेत्रहीन या मंदबुद्धि आदि लोगों में आस-विशवास जगाना.
औरा :-
नय मनुष्य के नव निर्माण के लिए, उसके नैतिक मूल्यों एवं सदाचार के लिए, तनावरहित आनंदपूर्ण व संतुलित जीवन जीने के लिय, पूर्ण व्यक्तित्व  के लिए वर्कशाप, लेक्चर एवं केन्द्रों का संचालन व स्थापना.   
अनहद  :- धर्म एवं अद्यात्म से जुडी सभी गतिविधियाँ. गुरु-ग्रंथों, ज्ञान-ध्यान, तीर्थ-आश्रमों आदि का प्रचार- प्रसार, संरक्षण एवं निर्माण करना और आत्मा के स्तर पर लोगों को जागृत करना.